October 2, 2013

गाँधी....... तुम कब आओगे दुबारा?


गाँधी जी के राजनीतिक विचारों से जुड़ी कई मुद्दों पर अपनी असहमति रखते हुए भी मैंने अपने जीवन में कई बातें उनसे सिखने लायक समझा है. समाज जीवन में सक्रीय रहने वाले लोगों के लिए वे निश्चित तौर से एक आदर्श व्यक्तित्व है. वैसा व्यक्ति जो अपने चुम्बकीय व्यक्तित्व से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता करता है, अकेले चलने का साहस करता है और फिर अपने कृतित्व के प्रभाव से लोगों को अपने पीछे नही, एक विचार, एक मुद्दें के साथ जुड़ने और चलने को मजबूर करता है. व्यक्तिगत जीवन में हम बोलते कुछ और है, करते कुछ और है. कई लोग गरीबों के बीच काम तो करते है, लेकिन गरीब नही दिखना चाहते। उनके सेवा भाव में भी एक अहंकार की प्रवृति छिपी दिखाई देती है. लेकिन गाँधी इनमे से नही थे. वे जो थे, वही दीखते भी थे. 
           
               एक मैग्जीन के गाँधी विशेषांक हेतु कुछ लिखा था, सोचा आपसे शेयर करूँ। प्रश्नोत्तरी के रूप में दिए सवालों के जबाब मैंने कुछ यु लिखे थे