Pages

August 10, 2013

प्रेम पत्रों के बगैर मुहब्बत की मैसेजवाली दुनिया

हरदिल अज़ीज़ मुकेश दा के गाए एक गीत के बोल कुछ इस तरह है..

“लिखे जो ख़त तुझे, वो तेरी याद में,
हजारों रंग के, नजारे मिल गए,
सवेरा जब हुआ, तब फुल खिल गए,
जो रात आई तो, सितारें बन गए.”

             ये गीत महज किसी गीतकार के ख्यालों में आए शब्द नही, प्यार में डूबे दों माशूकाओं की खुबसूरत दुनिया को जताने का तरीका भी बताता है. लेकिन तकनीकी (Technology) और इंटरनेट के सामाजिक मंचों (Social Networking sites-Facebook/Twitter) ने इश्क-मोहब्बत की खूबसूरत "प्रेम पत्रों की दुनिया" को बड़ी बेरहमी से उजाड़कर, इसे आज चैटिंग,  ईमेल में बदल दिया है.