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September 26, 2014

पाकिस्तान से आए हिन्दुओं को मिलेगी भारतीय नागरिकता


राज्य सरकार के माध्यम से आए आवेदन पर नागरिकता देने पर विचार कर रही है केंद्र सरकार

भारत सरकार पाकिस्तान से आए हिन्दुओं को भारत की नागरिकता देने पर विचार कर रही है. ऐसी नागरिकता राज्य सरकार के माध्यम से आए आवेदनों पर ही दी जाएगी. यह नागरिकता इंडियन सिटीजनशिप एक्ट, 1955 के विभिन्न धाराओं के तहत दिए जाने की बात भी सरकार ने कही है. इस बात का खुलासा आरटीआई कार्यकर्त्ता अभिषेक रंजन द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय में 4 अगस्त को सूचना के अधिकार के तहत किए आवेदन पर 15 सितंबर, 2014 को गृह मंत्रालय के दिए जबाब से हुआ है |


पूछे गए सवाल थे: 
(1) पाकिस्तान के कितने नागरिक भारत में रह रहे है? कृपया कुल संख्या व उनके निवास स्थान की सत्यापित जानकारी दें.
(2) पिछले 10 वर्षों में कितने हिन्दू पाकिस्तान से भारत आए?
(3) पाकिस्तान से आए हिन्दूओं को भारत सरकार क्या क्या सुविधाएं मुहैया करवा रही है?
(4) क्या भारत सरकार पाकिस्तान से आए हिन्दूओं को भारत की नागरिकता देने का विचार कर रही है ? 
(5) यदि नही तो क्या इन्हें दुबारा इनके देश भेजने हेतु भारत सरकार क्या कर रही है?
(6) क्या पाकिस्तान से आए हिन्दूओं को अपने देश बुलाने के लिए पाकिस्तान द्वारा कोई प्रयास किया गया है? यदि हाँ तो संबंधित पत्र या प्रयासों की जानकारी की सत्यापित प्रति मुहैया करवाए.

गृह मंत्रालय का जबाब 



राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिज्जू ने 13 अगस्त2014 को कहा था कि पाकिस्तान से भारत आने वाले हिन्दुओं को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं किया जा रहा है, बल्कि उन्हें हम दीर्घावधि वीजा दे रहे हैं।

भाजपा पाकिस्तानी हिन्दुओं को नागरिकता देने की वकालत करती रही है. हाल में ही गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय नागरिकता देने के लिए टास्क फ़ोर्स बनाने की बात कही थी. भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने 2 फरवरी, 2013 को पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के हालात पर दिल्ली में आयोजित एक गोष्ठी में कहा था कि “अब समय आ गया है कि पाकिस्तान में उत्पीड़न के कारण वहां से भाग कर भारत आ रहे अल्पसंख्यकों के लिए शरणार्थी पुनर्वास नीति बनायी जाए। इन लोगों को भारत की नागरिकता दी जानी चाहिए। सिंह ने तब कहा कि यदि भाजपा सत्ता में आयी तो हम इस मुद्दे को हल्के में नहीं लेंगे। हम जो कर सकते हैंकरेंगे और अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसका क्या प्रभाव होगाउसकी चिन्ता नहीं करेंगे।

इससे पूर्व समान आवेदन के दिए जबाब में 1 सितंबर को गृह मंत्रालय ने भारत में कुल कितने पाकिस्तानी नागरिक रह रहे है व पिछले दस वर्षों में कितने पाकिस्तानी नागरिक भारत आए, की जानकारी देने से इंकार कर दिया था.

सरकार ने इस सवाल का भी जबाब नही दिया है कि क्या भारत सरकार पाकिस्तान से आए लोगों को दुबारा वापस भेजने पर विचार कर रही है. गौरतलब हो कि 2002 में संसद भवन पर हमलें के बाद भारत ने पाकिस्तानी नागरिकों को भारत से निकालने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी. तत्कालीन गृह राज्य मंत्री सी. विद्यासागर राव ने तब कहा था कि भारत में क़रीब 11 हज़ार पाकिस्तानी नागरिक ग़ैरक़ानूनी तौर पर रह रहे हैं. सरकार ने ऐसे लोगों को ढूँढ निकालने और उन्हें गिरफ़्तार करने का फ़ैसला किया है. हालांकि मानवीय आधार पर इस फैसलें को लागू नही किया जा सका.

गृह मंत्रालय का पहला जबाब देखे 


भारतीय नागरिकता के संबंध में 27 मार्च 2012 को गृह राज्य मंत्री मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने रतन सिंह अजनाला के सवाल के लिखित जवाब में लोकसभा को बताया था कि पाकिस्तानी नागरिकों को भारत में दोहरी नागरिकता प्रदान करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। रामचंद्रन ने इस बात से भी इंकार किया था कि सरकार को इस संबंध में कोई अनुरोध मिला है और सरकार को इस बात की जानकारी है कि पाकिस्तान में अनेक सिख और हिन्दू भारत और पाकिस्तान में दोहरी नागरिकता प्राप्त करने के इच्छुक हैं।

पाकिस्तानी हिन्दुओं के हितों के खातिर काम करने वाले राजस्थान स्थित सीमांत लोक संगठन कि माने तो भारत में तक़रीबन सवा लाख हिन्दू पाकिस्तान छोड़ कर भारत में रह रहे है जिन्हें नागरिकता नही मिली है. 12 मई,2014 को पाकिस्तानी संसद(नेशनल असेंबली) में पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) के सांसद डॉ. रमेश कुमार वंक्वानी के दिए बयान की माने तो भारत में हर साल लगभग 5000 पाकिस्तानी हिन्दू आ रहे है. पाकिस्तान छोड़कर आनेवाले हिन्दू अपने देश वापस नही जाना नही चाहते. हाल ही में 3 सितंबर, 2014 को गुजरात के राजकोट में 2005 से ही रहनेवाले लगभग 200 परिवारों ने नागरिकता देने के लिए स्थानीय कलेक्टर के पास आवेदन दिया. ऐसी ही मांगे पंजाब, राजस्थान, दिल्ली में पाकिस्तान छोड़ कर आए हिन्दू करते रहे है. पाकिस्तान में हो रहे शारीरिक व मानसिक उत्पीड़न से पीड़ित हिन्दू परिवार वहां नही रहना चाहते. किसी तरह वीजा पाकर भारत आते है तो यहाँ से लौटना नही चाहते. लेकिन सबसे दुखद तथ्य तो यह है कि कई दशकों से रह रहे परिवारों को अबतक न तो नागरिकता मिली है, न ही सामान्य जीवन जीने लायक सुविधाएं.      

1998 में हुई जनगणना के मुताबिक पाकिस्तान में हिन्दूओं की संख्या 25 लाख है जो वहां की कुल जनसँख्या का लगभग 2 प्रतिशत हिस्सा है. पाकिस्तान में रहने वाले लगभग 95 प्रतिशत हिन्दू सिंध और पंजाब में रहते है.

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