शिक्षा से वंचित बच्चों को स्कूलों से जोड़ने का
किया आह्वाहन
कहा- अबतक एयर कंडिशन्ड में तैयार होती रही शिक्षा
नीतियाँ 80 प्रतिशत लोगों के उम्मीदों के अनुरूप नही, हम रायशुमारी से बनाएंगे नई
शिक्षा नीति
प्रतिभावान छात्रों के एक सम्मान समारोह को संबोधित
करते हुए शनिवार को केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास राज्य मंत्री श्री उपेन्द्र
कुशवाहा ने नई शिक्षा नीति के लिए लोगों से सुझाव मांगे. साथ ही शिक्षा को हर गाँव, हर घर
तक पहुंचाने के लिए सामाजिक संगठनों से सहयोग की अपील भी की.
राजस्थान के चूरू जिले के सैनी कर्मचारी व अधिकारी संगठन द्वारा
आयोजित इस कार्यक्रम में स्नातक व बारहवीं स्तर के विभिन्न विषयों में अव्वल
प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया. इस अवसर पर बच्चों को पढ़ने हेतु निरंतर प्रोत्साहित करने के उदेश्य से आयोजित ऐसे आयोजनों की सराहना करते हुए हुए श्री कुशवाहा ने कहा कि “शिक्षा का लाभ सबको अवश्य उठाना चाहिए. समाज
का जो भी वर्ग इसका लाभ नही उठा पाया, वह विकास के हर क्षेत्र में पिछड़कर रह गया
है. व्यवसाय हो या राजनीति, समाज के जिस
भी क्षेत्र में कोई आगे बढ़ना चाहे तो वह शिक्षा के बिना ज्यादा आगे नही बढ़ सकता. यह
जबाबदेही हमारी है कि जो लोग अबतक शिक्षा से वंचित है, सबतक शिक्षा की रौशनी पहुँच
पाए. बच्चों के अन्दर जो प्रतिभाएं है, उन प्रतिभाओं को निखरने का अवसर हम दें
पायें. जरुरत है, ऐसे कार्यक्रमों के बहाने हम प्रतिभावान बच्चों को निरंतर प्रोत्साहित करें.”
(पूरा भाषण सुनने के लिए यहाँ क्लीक करें )
प्रतिभवान छात्राओं को सम्मानित करते उपेन्द्र कुशवाहा |
महात्मा फुले को याद करते हुए श्री कुशवाहा ने
कहा कि “फुले साहब को हम याद कर गर्व महसूस करते है. क्यूंकि उन्होंने दो सौ सालो
पहले शिक्षा की रौशनी जगाने का काम किया. उन्होंने इस बात को समझा कि शिक्षा के
बिना कुछ भी संभव नही है. वे जिस समय शिक्षा की रौशनी जलाने का काम कर रहे थे, उस
समय महिलाओं की शिक्षा के लिए प्रयास नही हो रहे थे. उन्होंने आगे बढ़कर अपनी
धर्मपत्नी सावित्रीबाई फुले को शिक्षित, प्रशिक्षित किया व प्रथम महिला शिक्षिका
के रूप में उन्होंने महिला शिक्षा हेतु उल्लेखनीय योगदान दिया. आज उन्हें जब भी याद
करते है, उनकी बताई राह दिखाई देती है. लेकिन उनके स्वप्नों को साकार करने में
हमें अभी कामयाबी नही मिली है. अभी हमें बहुत कुछ करना है.”
उन्होंने वर्तमान शिक्षा नीति की विफलता को इंगित
करते हुए कहा कि “ शिक्षा व्यवस्था का यह दोष है कि हमारे देश के बच्चें ऊँची से
ऊँची डिग्री हासिल तो कर लेते है लेकिन उनकी डिग्रियां उनके जीवन की जटिलताओं से
जूझने में सहायक साबित नही हो पाती.” स्वामी विवेकानंद के एक उद्धरण के माध्यम से शिक्षा
के महत्व को स्पष्ट करते हुए श्री कुशवाहा ने कहा कि “स्वामीजी ने शिक्षा के उदेश्यों
पर प्रकाश डालते हुए कहा था कि शिक्षा वह
शिक्षा नही है जो किताबी ज्ञान उपलब्ध कराने का काम करे बल्कि शिक्षा तो वह शिक्षा
है जो आगे आनेवाले दिनों में बच्चों को व्यवहारिक क्षेत्र में आने के बाद जीवन की तमाम
जटिलताओं से जूझना सिखाने का काम करे.” उन्होंने अफ़सोस जाहिर करते हुए कहा कि “इस
दृष्टि से राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार, ऐसी स्थिति बनाने में वह अबतक कामयाब नही हो
पाई.”
मोदी सरकार की शिक्षा के प्रति संवेदनशील और सर्व
समावेशी नीति का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि “हमारी सरकार ने तय किया है कि देश
की मौजूदा शिक्षा नीति में हम बदलाव लाएंगे. हम इस तरह का बदलाव लाना चाहते है,
जिससे बच्चें देश और दुनिया की जानकारी से लैस हो. साथ ही साथ वैसी शिक्षा पाएं,
जो उन्हें रोजगार उपलब्ध करवाए. उन्हें डिग्री लेकर भटकने पर मजबूर नही होना पड़े.”
नई शिक्षा नीति हेतु किए जा रहे प्रयासों की
जानकारी देते हुए कहा कि “हमारे मंत्रालय ने तय किया है कि हम देश भर में जायेंगे.
अलग अलग स्थानों पर जाएंगे. लोगों से सुझाव इकठ्ठा करेंगे कि लोग किस तरह की
शिक्षा नीति चाहते है.”
पूर्ववर्ती सरकारों की शिक्षा नीति की आलोचना
करते हुए श्री कुशवाहा ने कहा कि “हमने अनुभव किया है कि सरकार के स्तर पर जो
शिक्षा नीति बनती रही है, उसे कुछ लोग अबतक एयर कंडिशन्ड रूम में बैठकर बनाने का
काम करते रहे है. इस वजह से जो गाँव में रहने वाले लोग है, जिनकी आबादी 80 फीसदी
है, उनतक शिक्षा अभीतक ठीक से नही पहुंचा पाए है. एयर कंडिशन्ड घर में बैठने वाले
लोग 80 प्रतिशत लोगों की समस्याओं को, उनकी परिस्थिति को ठीक से समझ ही नही पाते.
जो 20 प्रतिशत लोग है, उनको लाभ होता है, बाकियों को लाभ नही होता है. इसलिए इस
बार हमने तय किया है कि हमलोग लोगों के बीच जायेंगे, आमलोगों से राय लेंगे, उनका
सुझाव लेंगे. हमारा देश इतना विशाल देश है कि अलग अलग राज्यों की, अलग अलग इलाकों
की परिस्थिति अलग हुआ करती है. सबकी परिस्थिति एक जैसी नही होती. सबकी आवश्यकता भी
एक जैसी नही होती. अलग अलग परिस्थिति के अनुकूल, कहाँ के लोग कैसी शिक्षा चाहते
है, हम उसपर लोगों से रायशुमारी करने वाले है.”
उपस्थित जनसमुदाय से इस शिक्षा नीति के निर्माण
में अपनी महत्ती भूमिका निभाने का आह्वाहन करते हुए उन्होंने कहा कि “हम जाकर भी
लोगों से सुझाव लेंगे, लेकिन आपसे भी आग्रह है कि आपके मन में भी कोई सुझाव हो, तो
उसे हमें अवश्य भेजे. जो उचित सुझाव हमें लगेगा, उसे हम अवश्य शामिल करेंगे.”
कार्यक्रम में उपस्थित जनसमूह |
नववर्ष की शुभकामना देते हुए सम्मानित बच्चों से
मुखातिब होकर श्री कुशवाहा ने कहा कि “आपको अच्छा प्रदर्शन करने की वजह से आज पुरस्कार
मिला है. जो पुरस्कार मिला है, वह आपके मनोबल बढ़ाने का काम करेगा. साथ ही साथ आपके
अगल बगल के बच्चों में भी यह भाव पैदा करेगा कि वे भी बेहतर करें ताकि इस सम्मान
के हक़दार हो पाए. हम आपसे गुजारिश करते है कि इस किताबी ज्ञान पाने की उम्र में
अच्छी शिक्षा पाए लेकिन जो शिक्षा प्राप्त करते है, वह अगर आपतक ही सिमित रह गयी
तो जो अपेक्षा यह समाज आपसे लगाये बैठा है, वह पूरी नही होगी. इनकी अपेक्षा तो तब
पूरी होगी, जब आपके अन्दर समाज के लोगों की इच्छा के अनुकूल विकसित करने वाली जो
प्रतिभा है, वह आपके आचरण व व्यवहार में दिखे. हम कई बार देखते है कि बहुत शिक्षित
लोग ऊँची ऊँची डिग्री प्राप्त कर लेते है, लेकिन उनको इस बात का ज्ञान नही होता कि
घर के माता पिता व बुजुर्गों की सेवा का भाव भी जरुरी है. जो छोटे भाई है, जो छोटी
बहन है, उनके प्रति स्नेह का भाव तो रहना ही चाहिए, अपने अगल बगल के लोगों के
प्रति सम्मान, उनके प्रति बढ़िया व्यवहार दिखाना व अच्छा चरित्र का निर्माण करे. आप
सब अच्छा और बेहतर समाज बनाने के लिए काम करे, यही आपसे अपेक्षा है.”
कार्यक्रम के दौरान रिटायरमेंट के बाद एमबीए की
डिग्री पाने वाले एक व्यक्ति की तारीफ़ करते हुए उन्होंने कहा कि “शिक्षा पाने की
कोई उम्र नही होती. जिस किसी को इच्छा हो, उसे पूरा करने का प्रयास अवश्य करना
चाहिए.” अपने भाषण के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए श्री कुशवाहा ने बिहार की राजनीति व अपने मंत्रालय द्वारा किए जा रहे कार्यों के बारे में जानकारी दी. ( मीडिया संबोधन सुनने के यहाँ क्लीक करे )
कार्यक्रम में संगठन के पदाधिकारी, स्थानीय राजनेता, समाजसेवी, रालोसपा नेता राजेश यादव, अरुण कुशवाहा, संदीप
सैनी सहित हजारों लोग मौजूद थे.
No comments:
Post a Comment