#LandAcquisitionAct पर
जारी बहस को लगभग डेढ़ महीने से देख-सुन रहा हूँ! नई सरकार के Ordinance को
भी पढ़ा! कई बार तो ऐसा लगता है कि यह बहस कुछ वैसा ही है, जैसा भारत में
कंप्यूटर लांच करते वक़्त चला था- लोग बेरोजगार हो जाएंगे, मशीने आदमी की
जगह ले लेंगे आदि आदि. हो सकता है, ऐसी बातें विकास की राजनीति का समर्थक होने की वजह से लगता हो
लेकिन यह मसला ऐसा है, जिसमें कोई भी आशंका तबतक फिजूल की नही मानी जा
सकती, जबतक कि सरकार अंतिम रूप से अपनी नियत व नीति स्पष्ट तौर पर न बता
दे. अभी उहापोह की स्थिति बनी हुई है कि क्या अध्यादेश में बदलाव किए जाएंगे या
फिर वह बिना बदलाव के ही हुबहू सदन की पटल पर लाए जाएंगे. कारण बहुतेरे है लेकिन वर्तमान
हालात तो ऐसा ही लगता है कि सरकार इस बात को बता पाने में अभीतक असफल रही है कि आखिर वह
इतना बड़ा बदलाव बिना किसानों के हितों को नुकसान पहुंचाएं कैसे करेगी? हो
सकता है, किसान विरोधी होने का ठप्पा लगने की डर से इसका जबाब वह आने वाले
दिनों में दें. जबतक कोई जबाब नही आता है, शंकाएं बरकरार रहेगी.