January 11, 2015

बच्चों के स्वर्णिम भविष्य की खातिर बदलेंगे देश की मौजूदा शिक्षा नीति : उपेन्द्र कुशवाहा

शिक्षा से वंचित बच्चों को स्कूलों से जोड़ने का किया आह्वाहन

कहा- अबतक एयर कंडिशन्ड में तैयार होती रही शिक्षा नीतियाँ 80 प्रतिशत लोगों के उम्मीदों के अनुरूप नही, हम रायशुमारी से बनाएंगे नई शिक्षा नीति

प्रतिभावान छात्रों के एक सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए शनिवार को केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास राज्य मंत्री श्री उपेन्द्र कुशवाहा ने नई शिक्षा नीति के लिए लोगों से सुझाव मांगे. साथ ही शिक्षा को हर गाँव, हर घर तक पहुंचाने के लिए सामाजिक संगठनों से सहयोग की अपील भी की. 
  
राजस्थान के चूरू जिले के सैनी कर्मचारी व अधिकारी संगठन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में स्नातक व बारहवीं स्तर के विभिन्न विषयों में अव्वल प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया. इस अवसर पर बच्चों को पढ़ने हेतु निरंतर प्रोत्साहित करने के उदेश्य से आयोजित ऐसे आयोजनों की सराहना करते हुए हुए श्री कुशवाहा ने कहा कि “शिक्षा का लाभ सबको अवश्य उठाना चाहिए. समाज का जो भी वर्ग इसका लाभ नही उठा पाया, वह विकास के हर क्षेत्र में पिछड़कर रह गया है.  व्यवसाय हो या राजनीति, समाज के जिस भी क्षेत्र में कोई आगे बढ़ना चाहे तो वह शिक्षा के बिना ज्यादा आगे नही बढ़ सकता. यह जबाबदेही हमारी है कि जो लोग अबतक शिक्षा से वंचित है, सबतक शिक्षा की रौशनी पहुँच पाए. बच्चों के अन्दर जो प्रतिभाएं है, उन प्रतिभाओं को निखरने का अवसर हम दें पायें. जरुरत है, ऐसे कार्यक्रमों के बहाने हम प्रतिभावान बच्चों को निरंतर प्रोत्साहित करें.”

(पूरा भाषण सुनने के लिए यहाँ क्लीक करें )

प्रतिभवान छात्राओं को सम्मानित करते उपेन्द्र कुशवाहा 

January 1, 2015

बलात्कार की समस्या के लिए जिम्मेवार कौन- समाज या सरकार ?



आज सुबह सुबह एक अख़बार में ऊबर कैब कांड की पीड़िता के बारे में पढ़ा. पीड़िता की कहानी दर्द, बहादुरी, समाज की मानसिकता सबका इकठ्ठा चेहरा दिखाती है. सच कहे तो ऊबर कांड पीड़िता हो या सुदूर किसी जंगल में उत्पीड़न की शिकार महिला, नाम बदलते है, लेकिन पीड़ा उतनी ही होती है. अफ़सोस! या तो ऐसी घटनाएं कुछ दिनों के बाद मानस पटल से गायब हो जाता है या फिर असल मुद्दे के समाधान की वजाए व्यक्ति केन्द्रित होकर रह जाता है. मीडिया के नेतृत्व में एक को न्याय दिलाने के लिए पूरा देश एकजुट हो जाता है. सरकारें सक्रीय हो जाती है. अंततः एक को मिले न्याय से ही समस्या के समाधान हो जाने का आभास कराया जाता है.