दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने एक किताब लिखी है- शिक्षा. इस किताब में सिसोदिया लिखते है कि अलग अलग राज्यों में शिक्षा पर बहुत से काम हुए है लेकिन इनमें एक बड़ी कमी यह रह जाती है कि इन प्रयासों से अच्छी शिक्षा देने का काम 5-10 प्रतिशत बच्चों तक ही हो पाया. बाकि के 90-95 प्रतिशत बच्चों को अगर शिक्षा देने का काम हुआ भी तो वह बेहद काम चलाऊ तरीके से और खानापूर्ति के लिए ही हुआ.
सुनने में ऐसी बातें बहुत अच्छी लगती है. इस तरह की बातें सिसोदिया ही नही, केजरीवाल और उनके अन्य साथी भी करते नज़र आते है.
लेकिन गरीबों की हितैषी बताते हुए लंबी चौड़ी डिंग हांकने वाले लोगों की कथनी और करनी की असलियत कुछ और ही है.
क्या सच में दिल्ली में 5 साल चली आम आदमी पार्टी की सरकार सभी बच्चों की एकसमान चिंता करती रही? क्या सरकार की प्राथमिकता में 95 प्रतिशत स्कूल थे?