January 19, 2020

दिल्ली की शिक्षा क्रांति: गिने-चुने में काम, बिल फाड़े हजार स्कूल के

दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने एक किताब लिखी है- शिक्षा. इस किताब में सिसोदिया लिखते है कि अलग अलग राज्यों में शिक्षा पर बहुत से काम हुए है लेकिन इनमें एक बड़ी कमी यह रह जाती है कि इन प्रयासों से अच्छी शिक्षा देने का काम 5-10 प्रतिशत बच्चों तक ही हो पाया. बाकि के 90-95 प्रतिशत बच्चों को अगर शिक्षा देने का काम हुआ भी तो वह बेहद काम चलाऊ तरीके से और खानापूर्ति के लिए ही हुआ.

सुनने में ऐसी बातें बहुत अच्छी लगती है. इस तरह की बातें सिसोदिया ही नही, केजरीवाल और उनके अन्य साथी भी करते नज़र आते है.

लेकिन गरीबों की हितैषी बताते हुए लंबी चौड़ी डिंग हांकने वाले लोगों की कथनी और करनी की असलियत कुछ और ही है.

क्या सच में दिल्ली में 5 साल चली आम आदमी पार्टी की सरकार सभी बच्चों की एकसमान चिंता करती रही? क्या सरकार की प्राथमिकता में 95 प्रतिशत स्कूल थे?


चुनावी बिगुल बजने से पहले दिल्ली सरकार ने करोड़ों खर्च करके दिल्ली के कोने कोने में 3 स्कूलों के विज्ञापन टंगवाए. ये स्कूल थे- वेस्ट विनोद नगर, खिचड़ीपुर और राउज एवेन्यू. वेस्ट विनोद नगर और खिचड़ीपुर, दोनों सिसोदिया के विधानसभा क्षेत्र पटपड़गंज का हिस्सा है, वही राउज एवेन्यू दिल्ली के बीचोबीच. सिसोदिया जी ने अपने क्षेत्र के मयूर विहार के साथ साथ वेस्ट विनोद नगर में भी अत्याधुनिक स्विमिंग पूल बनवाए और पुरे प्रचार तंत्र के जरिये ऐसी हवा बनाई मानों दिल्ली के सभी स्कूलों में स्विमिंग पूल है. जिम की तस्वीर राउज एवेन्यू से ही आती है. यही नही सोशल मीडिया पर सबसे अधिक फोटो राउज एवेन्यू के ही दिखाई देते है जो कि सेंट्रल दिल्ली में है और सभी बड़े मीडिया घरानों के ऑफिस के नजदीक है.

राउज एवेन्यू 
वेस्ट विनोद नगर 
खिचड़ीपुर 

प्रचार तंत्र की रणनीति ही जबरदस्त थी. सिसोदिया अपना चेहरा चमकाने के लिए अपने इलाके के आधिकारिक विज्ञापन के 3 में से दो अपने विधानसभा के स्कूल शामिल करवाते है और ओवरआल गिने-चुने स्कूलों की फोटो दिखाकर यह नैरेटिव बनाने की कोशिश करते रहे है कि दिल्ली के स्कूल 5 साल में ही बदतर से विश्वस्तरीय हो गए है.

इस कोशिश में लाखों बच्चों को बेरहमी से स्कूलों से निकाले जाने, बेहद ख़राब परीक्षा परिणाम, लगातार घटते बच्चें, दो तिहाई स्कूलों में साइंस की पढ़ाई न होने, लगभग आधे शिक्षकों के खाली पद और अतिथि शिक्षकों की गुणवत्ता का सवाल कहीं पीछे छुट जाता है, जो सच में दिल्ली के बच्चों के लिए मायने रखते है.

चलाने थे हजार स्कूल, चिंता की केवल 60 की

आम आदमी पार्टी जब सत्ता में आई तो लगभग एक हजार स्कूल दिल्ली सरकार के अधीन थी. आप की सरकार ने सभी स्कूलों के एकसमान विकास की चिंता करने की वजाए 6 महीने बाद मॉडल स्कूल के नामपर अच्छा प्रदर्शन कर रहे गिने-चुने 54 स्कूलों को छांट लिया. इन स्कूलों पर 250 करोड़ खर्च किये, वही बाकियों को लॉलीपोप थमाकर उन्हीं के हाल पर छोड़ दिया.

जिन स्कूलों को बेहतर करने का जिम्मा लिया भी गया, उनकी हालत बाहर से चमकाने की कोशिश तो हुई, लेकिन असलियत जल्द सामने आ गई कि अधिकतर जगहों पर किया गया काम दोयम दर्जे का था. इंडियन एक्सप्रेस में 27 अगस्त 2018 को छपी रिपोर्ट की माने तो 3 वर्ष बाद भी कई स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं नही थी, वही कई स्कूलों में करवाए काम की गुणवत्ता इतनी ख़राब निकली कि दरारे आने लगी. 13 जिलों के डिस्ट्रिक्ट डिप्टी डायरेक्टर एजुकेशन ने ये शिकायत की थी कि दिल्ली टूरिज्म एंड ट्रांसपोर्ट डेवलपमेंट कारपोरेशन (DTTDC) में काफी कामियां है और कई जगह बड़े दरार काम खत्म होने के तुरंत बाद ही दिखने शुरू हो गए.

आज तक कोई यह नही बता पाया कि इन स्कूलों की हालत कैसी है. आज इन्हीं 60 में से 8 स्कूलों की तस्वीर सोशल मीडिया पर शिक्षा क्रांति के दावे के साथ शेयर की जाती है. इन 60 के अलावे बाकी स्कूल अपने हाल पर ही है. नए कमरे और छोटे-मोटे बदलाव को छोड़कर कही विशेष ध्यान नही दिया गया. 

फरवरी 2019 में आई दिल्ली के इकॉनोमिक सर्वे के रिपोर्ट की माने तो 54 में से केवल 24 में ही काम अबतक पूरा हो सका है.

विशेष स्कूलों पर पूरा ध्यान, बाकी को छोड़ा अपने हाल पर

केजरीवाल सरकार ने जो 5 स्कूल बनाये, उनमें दुनियाभर की तमाम तामझाम दिखेगी. राउज एवेन्यू के स्कूल में  शिक्षकों के पद भले खाली हो, वहां इतने प्रकार के दिखावटी बातें है कि जो जाता है दिल्ली की फर्जी शिक्षा क्रांति के झांसे में आ जाता है.(पढ़े) लेकिन बाकी स्कूल आज भी सामान्य हालत में है. सिवाए रंगाई-पुताई, कुछ दिखावटी काम और नए बने कमरों(?) के अलावा आज भी वे केजरीवाल सरकार के चहेते 5 नए स्कूलों के मुकाबले कही नही दीखते.

कुछ उदाहरण,

जो 5 नए स्कूल स्कूल ऑफ एक्सीलेंस खुले, उनमें विद्यार्थी- शिक्षक का अनुपात दिल्ली सरकार की वेबसाइट के मुताबिक इस प्रकार है –
स्कूल का नामविद्यार्थियों की संख्याशिक्षकों की संख्या
रोहिणी सेक्टर 1784148
कालकाजी36240
मदनपुर खादर81138
खिचड़ीपुर85257
द्वारका सेक्टर 2284656

खिचड़ीपुर मनीष सिसोदिया के विधानसभा क्षेत्र पटपड़गंज में आता है. इस स्कूल में 15 बच्चों पर एक शिक्षक है. कालकाजी, जहाँ से सिसोदिया के शिक्षा सलाहकार आतिशी उम्मीदवार है, वहां 9 बच्चों पर एक शिक्षक है. दिलचस्प बात ये है कि ये 5 स्कूल किसी भी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित विधानसभा में नही बनाये गए. 5 में से 4 केजरीवाल के चहेते लोगों के इलाके में बने. खिचड़ीपुर सिसोदिया का इलाका है, कालकाजी आतिशी, मदनपुर खादर अमानुतुल्लाह खान, द्वारका आदर्श शास्त्री का विधानसभा क्षेत्र है.

लेकिन जैसे ही दिल्ली के बाकी के सामान्य स्कूलों की हालत देखेंगे तो पता चलेगा कि गरीबों की बस्ती में चलने वाले स्कूल में बच्चों की भीड़ तो है लेकिन शिक्षकों की भारी कमी है. जो शिक्षक है भी, उनमें बड़ी संख्या अतिथि शिक्षकों की है. SC वर्ग के लिए आरक्षित कोंडली की बात हो या फिर बुरारी, संगमविहार, त्रिलोकपूरी, जहांगीरपुरी, सुल्तानपुरी, खजुरी ख़ास जैसे इलाके, शिक्षक विद्यार्थी का अनुपात वैसा नही है, जैसा केजरीवाल के चहेते स्कूलों में है.

एक नज़र कुछ प्रमुख स्कूलों पर -
स्कूल का नामविद्यार्थियों की संख्याशिक्षकों की संख्या
राजकीय कन्या विद्यालय बुरारी232536
सर्वोदय कन्या विद्यालय निठारी441257
सर्वोदय कन्या विद्यालय सुल्तानपुरी424067
सर्वोदय बाल विद्यालय खजूरी खास454974
सर्वोदय कन्या विद्यालय(जीनत महल), जाफराबाद464164

60-65 बच्चों पर एक शिक्षक, ये हाल दिल्ली की घनी आबादी में बसे तमाम स्कूलों की है.

अपने चहेते स्कूलों में अच्छे अच्छे शिक्षकों को बहाल कर, उनमें सारी सुविधाएं दिखाकर केजरीवाल और सिसोदिया पूरी दिल्ली के स्कूलों को वर्ल्ड क्लास बताते है लेकिन सच्चाई बिल्कुल उलट है. जो सरकार 1030 स्कूलों में भी भेदभाव करती हो, कुछ ख़ास बच्चों पर पूरा ध्यान, बाकियों को अपने हाल पर छोड़ देती हो, आप उसके कामकाज के तरीके समझ सकते है.

बजट में चहेते स्कूलों पर पूरा ध्यान

दिल्ली सरकार के बजट का अध्ययन करेंगे तो चहेते और बाकी स्कूलों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार आपको स्पष्ट दिखेगा.

जब बात लाइब्रेरी बनाने की आई तो बाकी के स्कूलों को 5000 से लेकर 15000 तक की राशि दी, लेकिन अपने चहेते नए स्कूलों को एक-एक लाख रुपये दिए गए. इन पैसे का क्या हुआ, कुछ अता-पता नही.
बच्चों के बैठने के लिए डेस्क-बेंच की बात आई तो फिर चहेते स्कूल ही हावी रहे. नए बने अपने सभी 5 चहेते स्कूलों में पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (PWD) को और कथित 54 मॉडल स्कूलों में दिल्ली टूरिज्म एंड ट्रांसपोर्ट डेवलपमेंट कारपोरेशन (DTTDC) के जरिये प्राथमिकता में आधुनिक बेंच-डेस्क लगवाए गए. इन्हीं की तस्वीरें दिखाई जाती है.

चीफ मिनिस्टर सुपर टैलेंटेड चिल्ड्रेन स्कालरशिप योजना के तहत भी केवल राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय और अपने चहेते 54 स्कूलों के चिन्हित बच्चों को ही लाभ पहुँचाने का काम हुआ, जिसके तहत IIT जैसे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए दिल्ली के नामी गिरामी कोचिंग संस्थानों की मदद ली गई. दिल्ली के 5 प्रतिशत स्कूलों के लिए विशेष व्यवस्था करने के नामपर बाकि के गरीब बच्चों को उन्हीं के हाल पर छोड़ दिया गया. गौरतलब है कि इन स्कूलों में विशेष कोचिंग के जरिये IIT की प्रवेश परीक्षा में पास हुए बच्चों की सफलता को आप सरकार अपनी सफलता बताती है. यही नही, यह झूठ फैलाने की भी कोशिश करती है कि यह पहली बार हुआ जब दिल्ली के सरकारी स्कूल के बच्चें IIT में गए. दिल्ली में पहले भी हजारों विद्यार्थी सरकारी स्कूल से ही पढ़कर IIT में गए है, जिनमें इन पंक्तियों के लेखक का भाई भी शामिल है, जो 2005 में IIT में पढ़ने गया और अभी कनाडा में एक बड़ी कंपनी में नौकरी करता है.

बात जब डिजिटल लर्निंग योजना के तहत बच्चों को टैबलेट देने की आई तो इसके लिए भी अपने चहेते 5 स्कूल ऑफ एक्सिलेंस को ही चुना गया. राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय को छोड़ दे तो किसी और स्कूल के कुछ गिने-चुने बच्चें ही इससे लाभान्वित होंगे. इस योजना के तहत 11वीं और 12वीं के सभी बच्चों को टैबलेट दिए गए है.

ऐसे कई अन्य बातें है जो यह बात साफ़-साफ़ जाहिर करते है कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने केवल चुनिंदा स्कूलों पर ध्यान दिया. 25 फीसदी बजट से लंबी लंबी बातें करने वाले लोग आज हजार स्कूल भी चलाने में असमर्थ है.

आज दिल्ली के 1030 स्कूलों में 1472401 बच्चें पढ़ते है लेकिन इनमें से इस सरकार का ध्यान 5 स्कूलों के लगभग 4000 बच्चों पर ही है. ये भी दिल्ली के ही बच्चें है लेकिन बाकी के बच्चें भी उसी तरह की सुविधाओं और सहयोग की अपेक्षा रखते है जैसे बाकी. लेकिन ये अपेक्षा NGO चलाने वाले नए बने राजनेताओं से नही की जा सकती, जिन्होंने आजीवन 2-4 उदाहरणों के जरिये ही लोगों को बेवकूफ बनाकर पैसे कमाए है.

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